
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने कई स्तरों पर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की है। इनमें सबसे अहम फैसला रहा सिंधु जल संधि को स्थगित करना, जो अब पाकिस्तान की नब्ज पर वार साबित हो रहा है। भारत अब नदियों के जल बंटवारे में पहले अपने हित देखेगा, जिससे पाकिस्तान को मिलने वाला पानी अब निर्धारित शर्तों पर नहीं मिलेगा।
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सिंध में आग और आक्रोश:
इस फैसले के बाद पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थिति विस्फोटक हो गई। नौशेह्रो फिरोज़ जिले के मोरो तालुका में प्रदर्शनकारियों ने गृह मंत्री ज़ियाउल हसन लंजर का घर आग के हवाले कर दिया। पुलिस और प्रदर्शनकारियों की भिड़ंत में दो लोगों की मौत हुई, कई घायल हुए। इसके बाद भीड़ ने मंत्री के घर में आगजनी की, AC तोड़ दिए, और पूरे इलाके को हिंसा की आग में झोंक दिया।
ग्रीन पाकिस्तान इनिशिएटिव बना विवाद की जड़:
पाकिस्तान सरकार की “ग्रीन पाकिस्तान इनिशिएटिव”, जो चोलिस्तान रेगिस्तान को कृषि क्षेत्र में बदलने की योजना है, सिंध की जनता के लिए एक जल संकट का पैग़ाम बन गई है। इस परियोजना के तहत सिंधु नदी से 5 और सतलुज से 1 नहर प्रस्तावित हैं, जिससे सिंध को मिलने वाला पानी और घट जाएगा।
इस प्रोजेक्ट का खर्च 3.3 अरब डॉलर बताया गया है, और यह 48 लाख एकड़ बंजर जमीन को सिंचित करेगा। मगर सिंध के लोगों का आरोप है कि उनकी इजाज़त के बिना यह प्रोजेक्ट लाया गया और इससे सिंध सूख जाएगा।
सेना की दखल और कॉर्पोरेट फार्मिंग पर सवाल:
इस योजना को पाकिस्तान की सेना चला रही है। The Green Corporate Initiative (GCI) नाम की मिलिट्री-स्वामित्व वाली कंपनी इस जमीन को लीज़ पर लेकर खेती करेगी। सेना द्वारा चलाए जा रहे इन कॉर्पोरेट फार्मों को लोग “जल-लूट” और सैन्य पूंजीवाद (Military Capitalism) के उदाहरण मान रहे हैं।
पाकिस्तानी सेना पहले से तेल, गैस, खाद, रियल एस्टेट और सिक्योरिटी सेक्टर में गहरे पैठ रखती है। अब खेती के ज़रिए उसका वर्चस्व और बढ़ता दिख रहा है।
पानी के बिना टूटता पाकिस्तान:
पाकिस्तान पहले ही water-stressed nations की सूची में है। UN के अनुसार, देश की 37% आबादी को खाद्य सुरक्षा नहीं है और 25% जीडीपी खेती से आती है। ऐसे में जब IRSA (Indus River System Authority) ने बिना सिंध के प्रतिनिधि की सहमति के चोलिस्तान नहर के लिए पानी जारी करने की मंजूरी दी, तो विवाद और भड़क गया।
अविश्वास और विद्रोह:
सिंध में केवल ग्रामीण किसान ही नहीं, राजनीतिक दल भी सड़कों पर हैं। PPP, जो सिंध में सत्ता में है, ने अपनी विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर इस योजना को रद्द करने की मांग की है। विरोध करने वालों का कहना है कि योजना फिलहाल स्थगित है, पर रद्द नहीं हुई, इसलिए आंदोलन जारी रहेगा।
भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को स्थगित करना और पाकिस्तान की ग्रीन फार्मिंग परियोजना, दोनों ने पाकिस्तान के आंतरिक तनावों को और गहरा कर दिया है। अब सिंधु की धार राजनीतिक रणभूमि बन चुकी है, और इसका असर पाकिस्तान के राजनीतिक भविष्य, संघीय ढांचे और खाद्य सुरक्षा पर भी पड़ेगा।
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